सोमवार, 9 मार्च 2015

यह नंबर अस्तित्व में क्यों नहीं है ....


रोज सुबह की तरह ही मोबाइल का अलार्म बजा और श्रीमान जी ने झट से दबा दिया बटन कि  अभी बस बजता ही जाएगा .अलसाया मन अलार्म की एक क्लिक पर कहाँ उठता है , कुछ मिनट के अंतर पर कई बार मधुर ध्वनि सुन लेने के बाद ही सुप्रभात संभव है . मगर आज अलार्म बंद करते ही अचानक  चौंकते हुए उठे . जिसको अलार्म समझ कर बंद किया , वह मोबाइल की रिंग टोन थी . किसका फोन आ रहा था इतनी सुबह . घड़ी में समय देखा तो सुबह के तीन बजकर अठावन मिनिट हुए थे . 

इतनी सुबह फ़ोन और वह भी किसी के लैंड लाईन नंबर से . चिंता स्वाभाविक थी . आखिर इस समय कोई फ़ोन क्यों करेगा . किसी मदद की जरूरत थी  या कोई जरुरी सूचना थी , क्या सोचता होगा वह इंसान कि मैंने मदद के समय फोन काट दिया. जाने क्या -क्या विचार मन में डोलते रहे . थोड़ी देर इन्तजार होता रहा कि देखें , कहीं अगला दुबारा ही फ़ोन मिला ले . मगर लगभग दस पंद्रह मिनिट तक फ़ोन नहीं आने पर एक विचार मन में बना कि क्यों ना इसी नम्बर पर फोन कर पूछ लिया जाए . अब तो मोबाइल क्या लैंड लाईन फ़ोन पर भी इनकमिंग नंबर  दर्ज होने से मिस कॉल की सारी डिटेल मिल जाने की सुविधा रहती है . कही किसी ने गलती से ना मिला दिया हो., थोडा झिझकते हुए पुनः उसी नम्बर पर फोन किया तो उधर से आवाज़ आयी- यह नम्बर अस्तित्व में नहीं है!   
अब तो होश फाख्ता होने ही थे . एक तो अनजान नंबर लैंड लाईन का और वह  भी इतनी सुबह और वह नम्बर अस्तित्व में ही नहीं है . कुछ वर्षों पूर्व ऐसी घटना की बहुत चर्चा रही थी कि कुछ ख़ास नंबर से फ़ोन पर किसी महिला के रोने , सिसकने की आवाज़ आती थी  मगर उसी नम्बर पर फ़ोन करने पर सुनाई देता था कि  यह नम्बर अस्तित्व में नहीं है . भय और रोमांच मिश्रित एक सिहरन सी हुई . रहस्यमय कथाएं या फ़िल्में इसी प्रकार तो देखी - सुनी जाती हैं . भटकती आत्मा से दूरभाष पर साक्षात्कार का एक अविस्मरणीय पल घटे बिना  रह गया .
अनजाने ही सही क्या जरुरत थी बिना सुने ही कॉल ऑफ करने की .बार -बार यही अफ़सोस सताता रहा .
ओह ! हम भी किसी ऐसी रहस्यमय घटना के साक्षी होते रह गए क्या ..हालाँकि यह जानकारी तो थी कि कुछ वी आई पी नम्बर भी सिर्फ सुने जा सकते हैं. उन पर कॉल बैक नहीं किया जा सकता है. फिर भी रहस्य तो था ही कि आखिर यह फ़ोन हमारे पास क्यों आया . 

कैसे पता करें! किसका फोन नम्बर है! पड़ताल करते श्रीमान जी  बी एस एन एल की  वेबसाइट पर पहुंचे . यह भी अच्छा हुआ कि लैंड लाईन नंबर था वर्ना मोबाइल नम्बर की तो डाइरेक्टरी भी उपलब्ध नहीं होती . सर्च करने पर पता चला कि उक्त नम्बर उनके दफ्तर के सामने स्थित किसी सरकारी भवन का है। अब चिंता का पहाड़ बढ़ता ही जा रहा था. जरुर किसी ने मदद के लिए फोन घुमाया होगा. मगर यदि ऐसा है तो नम्बर अस्तित्व में नहीं है क्यों सुन पड़ रहा है . छुट्टी का दिन था वरना ऑफिस जाकर ही माजरा जान आते . अब सोमवार का इन्तजार करने के सिवा चारा नहीं था . मगर दिन भर दिमाग में  यही उधेड़बुन चलती रही  . इतनी सुबह किसका फोन था , नम्बर क्यों नहीं लग रहा आदि -आदि . कई बार बच्चों से भी इस पर चर्चा हुई . अचानक शाम को चार बजे मोबाइल की आवाज़ पर बेटी ने उछलते हुए कहा - पापा , यह तो फिर से वही नंबर  है . सुबह से इतनी पड़ताल हो चुकी थी कि फोन नम्बर रट ही गया था . हम सबक
 उत्सुकता भरी निगाहों से जानना चाह रहे थी कि आखिर यह रहस्यमय कॉल किसकी है , किसकी हो सकती है। श्रीमान जी ने कॉल सुनते ही स्पीकर ऑन कर दिया . " यदि आपको जुखाम के साथ तेज बुखार ,सर में दर्द है तो स्वाईन फ्लू की जांच अवश्य करवा ले "  कम्प्यूटराईज्ड ध्वनि में  स्वास्थ्य विभाग की जनहित चेतावनी जारी हो रही थी .  इस नंबर के अस्तित्व में नहीं होने की वज़ह समझ आ गयी .

धत्त तेरे की ...सारे रहस्य की ऐसी -तैसी हो गई . 

अब हमारी सरकार की मुस्तैदी का जवाब क्या है! भोर के चार बजे फोन से नागरिकों को स्वाईंन  फ्लू के खिलाफ चेता  रही है. सही भी है बीमारियाँ भोर अथवा शाम का समय देख कर थोड़े आती है . राहत भी हुई कि जनता को जागरूक करने के  सरकारी काम भी इतनी चुस्ती -फुर्ती से होते हैं . 
 पुरानी रहस्यमय घटनाओं के सन्दर्भ और स्रोत भी समझ आ गए कि  उक्त रहस्यमय घटनाओं  के पीछे किसी स्त्री की दारुण व्यथा नहीं बल्कि उनके लिए ऐसे किसी नम्बर का प्रयोग कर शरारत ही रही होगी .

रहस्यमय संसार अचानक ही सामान्य सा लगने लग गया. ये भी कोई बात है भला !!