शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

कोई सुलझा दे ये पहली ...


मेरे
इमेल पते साथ विशाखा पंडित कैसे...

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dateSat, Aug 20, 2011 at 3:17 AM
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ब्लॉग पर टायपिंग करने में भी कुछ परेशानी है, कोई भी शब्द टाईप करने पर कर्सर आगे जाने की बजाय पीछे चल रहा है...



रविवार, 14 अगस्त 2011

आपके लिए परिवार, समाज अथवा देश से प्रेम के क्या मायने हैं ...

लिखने , बोलने या समझाने का सबका अपना अलग ढंग/ तरीका होता है. गुणीजनों को अपनी शब्द सम्पदा पर मोहित हो कठिन शब्दों में ग्रंथों के हवाले से सदुपदेश देना रुचता है , वही महात्मा सरल शब्दों में विभिन्न महापुरुषों के उदाहरण देकर समझाने का यत्न करते हैं जबकि आम इंसान अपनी शब्दों की घनचक्करी के बिना ही अपने आसपास घटने वाली घटनाओं और उसमे स्वयं और विभिन्न व्यक्तियों द्वारा निष्पादित कार्यों अथवा व्यवहार द्वारा सिर्फ यह जतलाता है कि यह समस्या है/थी , इसे सुलझाने के प्रयास इस प्रकार किये जा सकते थे /हैं .

देश प्रेम पर बड़ी -बड़ी बातें पढ़ी सुनी, मगर मेरे लिए देश प्रेम का सीधा सा मतलब है इस देश से , देश में रहने वाले इंसानों से ,देश की प्रकृति से , भोगौलिक स्थिति से , यहाँ बसने वाले पशु पक्षी , बोलियाँ , भाषा , रहन सहन ,सबसे प्रेम करना है .
प्रत्येक व्यक्ति , समाज , देश के व्यवहार के दोनों पहलुओं में कुछ सकारात्मक अथवा नकारात्मक हो सकते हैं . साधु स्वभाव के बीच विघटनकारी अथवा दुष्ट प्रवृति भी साथ पलती ही है . ऐसी परिस्थितियों में हमारा या अन्य व्यक्तियों का वह व्यवहार जो दुष्प्रवृतियों को परे हटाकर सदमार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है , वही आदर्श हो जाता है . ध्यान रहे कि यहाँ समझाने के लिए भारी- भरकम उदाहरण नहीं देकर सिर्फ यह जतलाना होता है कि मैंने यह किया , इससे निजात पाई , तुम भी यह कर सकते हो या कम से कम प्रयास तो कर सकते हो ...

एक स्थान पर अभियंताओं का बड़ा दल भरसक प्रयास कर के भी नक़्शे के अनुसार बनाये गये मशीन के बराबर बनाये गये स्थान पर एक बड़ी मशीन को लगा नहीं पा रहे थे कि एक ग्रामीण के सरल उपाय ने उनकी मुश्किल एकदम से आसान कर दी . उसने सुझाव दिया कि पूरे स्थान को बर्फ के टुकड़ों से भरकर उसपर मशीन को रख दिया जाए , जैसे- जैसे बर्फ पिघलती जायेगी , मशीन भी उसके साथ अपने निर्धारित स्थान पर रख जाएगी .
कहने का तात्पर्य सिर्फ यह है कि बड़ी- बड़ी बातें करने या लिखने से ही हर समस्या का निदान संभव हो , आवश्यक नहीं ,सामान्य सहज बुद्धि भी कई बार बड़ी समस्याओं को चुटकियों में सुलझाने में सक्षम होती है .

कोई भी व्यक्ति , समाज या देश अपने आप में परिपूर्ण नहीं है . इन संस्थाओं में आसुरी प्रवृति को अनदेखा करते रहना , उसे छोड़ जाना या गरियाते रहना , कोई निदान नहीं है . अपने परिवार , समाज और देश में साथ रह कर अपने अच्छे कार्यों द्वारा समझाना, सुधार का प्रयास और फिर अंतिम उपाय के रूप में दंड देना ही एक मात्र समाधान है .

मैं सबसे पहले एक इंसान और हिन्दुस्तानी हूँ और जब हमारे समाज और देश के समस्त नियम , कायदे, कानून और संविधान धर्म और जातियों के आधार पर ही निर्धारित हैं तो मुझे अपने धर्म और समाज पर कोई शर्मिंदगी भी नहीं है . एक सच्चे हिन्दुस्तानी के रूप में मैं दूसरे व्यक्ति , समाज अथवा धर्मों में कमी देखने या दिखाने की बजाय स्वयं अपने में , परिवार में , समाज में और देश में सुधार की कोशिश करने का प्रयत्न /प्रार्थना करूंगी .

मैं हर दिन ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ कि जिस समय या जो वस्तु , इंसान या कोई भी प्रलोभन मुझे अपने परिवार ,समाज और देश से गद्दारी या बेईमानी करने को उकसाए , वही पल उस वस्तु , इंसान और स्वयं मेरे लिए भी आखिरी हो जाए ....
परिवार , समाज या देश से प्रेम का जो मतलब मैं समझती हूँ , वह तो यही है , आपके लिए इनके क्या मायने हैं .....

स्वतन्त्रता दिवस की अनगिनत शुभकामनायें!