गुरुवार, 16 जुलाई 2009

समंदर इतना खारा क्यों है ??
एक छोटी लड़की जब कभी ख़ुद को तनहा उदास महसूस करती ...घर से सटे बागीचे के कोने में जा बैठती ...की..उसकी आँखों में छिपा समन्दर उसके सामने लहलहा उठता ...दोनों कोहनियों पर सर झुकाए ...समंदर की लहरे ऊँची उठकर कभी उसकी लटों से खेलती ...कि कभी उसके कदमों के तले सरसराहट करते निकल जाती ...छोटी लड़की का विषाद घुलता जाता ...वह मुस्कुराने लगती ..समंदर भी उसे मुस्कुराता देख और हिलोरें खाता और उसकी लहरे जैसे नृत्य करते उसे अपनी फुहारों से भिगो देती ...एक दिन उसकी लहरों कि कुछ बूँदें उसके मुख में खराश भर गयी...लड़की नाराज हो गयी...रूठकर समन्दर के किनारे पड़ी ऊँची शिलाओं पर जा बैठी...समंदर इतना खारा क्यों है....?? समंदर कुछ न कहता ...बस अपनी अठखेलिया करता रहता ...शिलाओं के किनारे ही टकराकर लहरों को लौट जाते देख ...समंदर की बेबसी पर वह छोटी लड़की तालिया बजाकर खूब हंसती...!!
एक दिन फिर वह छोटी लड़की इसी तरह अपनी उदासिओं में गुम समंदर के किनारे आ बैठी ...आज तो समंदर इतना शांत था...कोई लहर उठकर नही आयी उसे भिगोने ...छोटी लड़की ख़ुद को और तनहा महसूस करने लगी ...आँखें भर ना आए कहीं ...पलकों को भींचे बैठी रही ....तभी कुछ खारा सा स्वाद उसके लबों से पर जा ठहरा ...यह तो समन्दर सा खारा ही है ...ऑंखें खोला तो देखा ...उसकी आँखों से आँसू झरकर मुख पर बिखर रहे थे ...मुस्कुरा उठी वह....आज जान चुकी थी.... समंदर इतना खारा क्यों है ...??
आज सभी ने समंदर के खारेपन का यह राज़ जान लिया है ...
समंदर ने कितनों के आंसुओं को ख़ुद में जो छिपा लिया है ....!!